Varieties of Fenugreek: मेथी की ये उन्नत किस्में देती हैं 6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार, जानिए खूबियां

Varieties of Fenugreek: मेथी की किस्में: मेथी एक प्रकार की पत्तेदार फसल है, जिसे देश के लगभग सभी किसान अपने खेतों में उगा रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं। दरअसल मेथी हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद होती है. क्योंकि इसमें प्रोटीन, सूक्ष्म तत्व और विटामिन मौजूद होते हैं. इसलिए बाजार में इसकी सबसे ज्यादा मांग है।

ऐसे में अगर आप मेथी की उन्नत किस्मों की खेती करते हैं तो कम समय में भी अच्छा उत्पादन पा सकते हैं. मेथी की ये शीर्ष पांच किस्में हैं पूसा कसूरी, आरएसटी 305, राजेंद्र क्रांति, एएफजी 2 और हिसार। सोनाली एक ऐसी किस्म है, जो प्रति एकड़ लगभग 6 क्विंटल पैदावार देने में सक्षम है.

हम मेथी की जिन पांच उन्नत किस्मों की बात कर रहे हैं, उनसे कई तरह के सौंदर्य प्रसाधन भी तैयार किए जाते हैं, जिससे किसानों को बाजार में इनके काफी अच्छे दाम मिलते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं मेथी की इन किस्मों के बारे में विस्तार से –

Varieties of Fenugreek – मेथी की टॉप पांच उन्नत किस्में- 

पूसा कसूरी- मेथी की पूसा कसूरी प्रजाति में फूल काफी देर से आते हैं. किसान इस किस्म की बुआई लगभग 5-6 दिन में एक बार करने पर उपज प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म की मेथी के दाने आकार में छोटे होते हैं। पूसा कसूरी से किसान प्रति एकड़ 2.5 से 2.8 क्विंटल तक की उपज प्राप्त कर सकते हैं.

आर.एम.टी. 305- मेथी की यह किस्म बहुत ही जल्दी पक जाती है. मेथी का आरएमटी. 305 किस्म में पाउडरी मिल्ड्यू रोग और जड़ गांठ सूत्रकृमि रोग नहीं पाए जाते हैं। इस किस्म से किसान प्रति एकड़ लगभग 5.2 से 6 क्विंटल पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.

ए.एफ.जी 2 – मेथी की इस किस्म की पत्तियां काफी चौड़ी होती हैं. किसान मेथी की एएफजी 2 किस्म की कटाई एक बार करके तीन बार कटाई करके उपज प्राप्त कर सकते हैं। इस किस्म के दाने छोटे आकार के होते हैं. मेथी की इस किस्म से किसान 7.2 से 8 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.

राजेंद्र क्रांति किस्म- मेथी की राजेंद्र क्रांति किस्म से किसान लगभग 5 क्विंटल प्रति एकड़ का अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. मेथी की यह किस्म लगभग 120 दिनों में खेत में पक जाती है.

निष्कर्ष

उन्नत मेथी किस्मों की खेती किसानों के लिए गेम-चेंजर है, जो बढ़ी हुई पैदावार, रोग प्रतिरोधक क्षमता और विविध अनुप्रयोग प्रदान करती है। पूसा कसूरी, आरएसटी 305, राजेंद्र क्रांति, एएफजी 2 और हिसार सोनाली को अपनाने से कृषि क्षेत्र में सफलता के नए रास्ते खुलते दिख रहे हैं।

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