Sugarcane Crop किसानों को गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग की रोकथाम के बारे में जानकारी दी गई फटाफट यहाँ से चेक करे
सेमिनार में मुख्य अतिथि कृषि वैज्ञानिक डॉ. बख्शीराम थे उन्होंने कहा कि जिन खेतों में गन्ने की किस्म उगाई गई है उनमें 0.238 प्रतिशत लाल सड़न रोग से प्रभावित नहीं है। भविष्य में इस रोग से बचाव के लिए उन सभी किसानों को एक एकड़ में ट्राइकोडर्मा के चार कार्यक्रम गोबर की खाद में मिलाकर गन्ने की बुआई से पहले भूमि उपचार हेतु आखिरी जुताई में प्रयोग करना चाहिए। जिससे मिट्टी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया खत्म हो जाएंगे
इसके साथ ही किसी स्वस्थ खेत से स्वस्थ गन्ना लेकर उसे दो टुकड़ों में काट लें एक दिन पहले शाम को नाली या गड्ढा खोदकर पॉलीथिन सहित 1 प्रतिशत हेक्सास्पोर्ट का पानी में घोल बनाकर भिगो दें। कम से कम 12 घंटे. इसके बाद ही अगले दिन गन्ने के बीज को बुआई के लिए प्रयोग करें. जिससे बीजों के माध्यम से फैलने वाले लाल सड़न रोग के जीवाणु समाप्त हो जायेंगे।
इस प्रकार मृदा उपचार एवं बीज उपचार द्वारा गन्ने की प्रजाति को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि खेतों में गन्ने की बुआई व सुरक्षा के बारे में बताया विभिन्न प्रकार की कंपनियों के स्टॉल लगा कर प्रचार-प्रसार के लिए किसान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया इसमें मनी पावर ट्रेलर ट्रेंच ओपनर स्प्रे मशीन की कंपनियों ने भाग लिया इस दौरान ईशान गोयल अक्षत कपूर आशीष शर्मा इकबाल सिंह संजीव कुमार राजन दीक्षित समेत सैकड़ों किसान मौजूद रहे
गन्ने की पैदावार अधिक होती है
किसान जून-जुलाई में गन्ने की बुआई शुरू कर देते हैं अगस्त से पौधे उगने लगते हैं। जबकि कटाई सितंबर-अक्टूबर में शुरू होती है गन्ने की अच्छी पैदावार से किसानों को काफी मुनाफा होता है लेकिन इस बार हापुड के गढ़ खादर इलाके में रहने वाले गन्ना किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें नजर आ रही हैं यहां के किसानों की गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग तेजी से फैल रहा है। इससे गन्ना सूख रहा है और फसल खराब हो रही है
सिंभावली चीनी मिल के वरिष्ठ प्रबंधक (गन्ना विकास) डॉ. कुशलवीर सिंह ने बताया कि लाल सड़न रोग गन्ने की एक लाइलाज बीमारी है। यदि गन्ने पर यह रोग लग जाए तो उसका कोई उपचार नहीं हो सकता। जागरूकता से ही किसान गन्ने की फसल को बचा सकते हैं।
खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो रही हैं
डॉ. कुशलवीर सिंह ने बताया कि लाल सड़न रोग गन्ने की एक खतरनाक बीमारी है। इस रोग से फसल पूरी तरह नष्ट हो जाती है। वर्तमान में Ko-238 प्रजाति इस रोग से प्रभावित हुई है। इस रोग से प्रभावित गन्ने की तीसरी-चौथी पत्ती पीली पड़ने लगती है, जिससे पूरा गन्ना सूख जाता है। गन्ने का तना लम्बा होने पर इसका रंग लाल दिखाई देता है। बीच-बीच में सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं। छूने पर तने से शराब जैसी गंध आती है। गन्ना गांठों से आसानी से टूट जाता है।
स्वस्थ बीजों का चयन करना चाहिए
डॉक्टर सिंह ने बताया कि गन्ने का लाल सड़न रोग एक फफूंद जनित रोग है। यह दो तरह से फैलता है. यह गन्ने के बीज या जमीन के माध्यम से फैलता है। इस बीमारी के हो जाने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। रोकथाम से ही फसल को बीमारी से बचाया जा सकता है डॉ. कुशलवीर सिंह ने कहा कि बचाव के लिए किसानों को भूमि को जैव कवकनाशी से उपचारित करना चाहिए।
साथ ही स्वस्थ बीजों का चयन करना चाहिए तथा रोग प्रतिरोधी प्रजाति जैसे कोल-15023 कोलख-14201 कोसा-13235 को-118 आदि गन्ना किस्मों की बुआई करनी चाहिए उन्होंने बताया कि गन्ने के टुकड़ों को फफूंदनाशक दवा से उपचारित करना चाहिए रोगग्रस्त खेतों का पानी स्वस्थ खेतों में न जाने दें गन्ने की लाइनों पर मिट्टी फैलाएं
किसानों को ये जरूरी उपाय करने चाहिए
डॉ. कुशलवीर सिंह ने बताया कि लाल सड़न रोग गन्ने की एक खतरनाक बीमारी है जिससे फसल पूरी तरह नष्ट हो जाती है वर्तमान में Ko-238 प्रजाति इस रोग से प्रभावित हुई है किसानों को सलाह है कि समय से रोगरोधी किस्मों की बुआई करें यदि 238 प्रजातियाँ बोई गई हैं तो रोग लगने से पहले ही उनका उपचार कर लें ट्राइकोडर्मा का प्रयोग करें फफूंद जनित रोगों से बचाव के लिए बीजों का उपचार करें। यदि खड़ी फसल में कोई रोग दिखाई दे तो उसे उखाड़कर नष्ट कर दें तथा उखाड़े हुए स्थान पर 2 से 3 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर डालकर पानी डालें